Thursday, June 21, 2012

ना आया ..


कोई भी लम्हा कभी लौट कर ना आया
वो शख्स गया ऐसा फिर नजर ना आया

वफा की दश्त में कोई रस्ता ना मिला
सिवाय गर्दे सफर हम सफर ना आया
  
पलट के आने लगे शाम के परिंदे भी
मगर वो सुबह का भुला घर ना आया

किसी चराग ने पूछी नही खबर मेरी
कोई भी फुल मेरे नाम पर ना आया

ये कैसी बात कही शाम के सितारे ने
कें सकून दिल को मेरे रात भर ना आया  

Sunday, June 10, 2012

शामे मेरी भी अब बेसदा हो गई



जिंदगी मेरी  अब सजा  हो गई
मौत भी  मुझसे बेवफा  हो गई

मोहब्बत का पैगाम न आया कोई
जाने हमसे  क्या खता  हो गई

रंजो गम फैला है इन हवाओं में
क्यूँ हमसे खफा ये सबा हो गई

खामोश बैठे है महफ़िल में इस तरह 
शामे मेरी भी अब बेसदा हो गई  

भटकते कदमों की आरही है सदा
उनकी आवारगी की इन्तिहाँ हो गई
                           (अनु -20/5/2012)