Monday, April 25, 2011

अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत



तुम ही थे मेरे इश्क से अनजान बहुत
वरना इस दिल में थे अरमान बहुत

ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
अश्क मुझे  करते हैं  परेशान बहुत

फिर से बह निकली मुहब्बत की हवा  
पर वहाँ  जज़्ब हैं  तूफ़ान बहुत

जी तो लेती ‘अनु’तेरे बगैर मगर
जिंदगी होती नहीं है आसान बहुत
                            (10/2/2010- अनु)
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Saturday, April 23, 2011

ज़रा सम्हल जा इसे तैर के जाने वाले




दोस्त बन बन के सताने वाले 
मेरी मैयत पे बिलखते है ज़माने वाले

आज फिर चैन में खलल सा है 
सपने में आने लगे चैन चुराने वाले

आज वो पूछ बैठे हाल मेरा
आज फिर ज़ख्म उभर आये पुराने वाले

तेरी दस्तक का मुझे इंतज़ार आज भी है
बेकली में मुझे ए छोड़ के जाने वाले

वो जो डूबा तो मिले मोती उसे
कौडियाँ बीनते ही रहे किनारे वाले

इश्क में भवर है तूफ़ान भी है
ज़रा सम्हल जा इसे तैर के जाने वाले
------- पद्म प्रकाश- ०८-०४-09 http://padmsingh.blogspot.com/

Tuesday, April 19, 2011

जीत का जश्न मनाने की जरूरत क्या थी




बे सबब अश्क बहाने की जरूरत क्या थी
दर्दे दिल सबको दिखाने की जरूरत क्या थी

हम तो खुद हार गए आपकी मोहोब्बत में
जीत का जश्न मनाने की जरूरत क्या थी

गर शिकारी थे तो करते शिकार कोई नया
किसी घायल पर निशाने की जरूरत क्या थी

इतने नाजुक हैं कि सांसो से पिघल जाते है
बिजलियाँ हम पे गिराने कि जरूरत क्या थी
(24/2/2010अनु)

Tuesday, April 12, 2011

मेरी आँखों में है खुश्क पानी सुनो ....








उजड़े ख्वाबो की है एक कहानी सुनो 


है जो हमको तुम्ही को सुनानी सुनो




जीत पर अपनी क्यों इतना मगरूर हो

हार हमने है खुद अपनी मानी सुनो




मुझको मालूम है बाद मरने मेरे

याद सबको हमारी है आनी सुनो




मुझसे छीनो ना मेरे दुखो को सनम

जिंदगी की यही है निशानी सुनो




आँख भर आई है मेरी तेरे लिए

मेरी आँखों में है खुश्क पानी सुनो




आज मिट्टी हुए सारे अरमाँ मेरे

खुद पे चादर ग़मों की है तानी सुनो