Sunday, January 30, 2011
शेर
ऐ जिंदगी यूँ मुझसे दगा ना कर
मै उससे दूर रहूँ ये दुआ ना कर
कोई देखता है उसे तो होती है जलन
ऐ हवा तू भी उसे छुआ ना कर
(अनजान शायर)
1 comment:
Anonymous
February 11, 2011 at 12:47 AM
सुभानाल्लाह......बहुत खूब.....
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यूँ चुप न रहिये ... कुछ तो कहिये
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