Tuesday, March 29, 2011

इश्क दरिया है लोगो को डुबाता ही रहा


बहुत दरिया दिल था वो शख्स

छीन कर आँख वो चराग दिखता ही रहा

दर्दे दिल आँख से बह कर निकले
हाल पे मेरे वो चुपचाप मुस्कुराता ही रहा

दिखाया जब भी उसको जख्मे जिगर
नोक से काँटों की मरहम वो लगता ही रहा

बह गई मै भी तेरी चाहत में 'अनु'
इश्क दरिया है लोगो को डुबाता ही रहा

Wednesday, March 23, 2011

चहरे से कुछ बयान तो होना ही नहीं है







दिल से मेरे लिपटा वो किसी राज की सूरत
वो शख्स जिसे मेरा कभी होना नहीं है



इश्को मोहोब्बतों के है किस्से बड़े अजीब
पाना भी नहीं है उसे खोना भी नहीं है



समझेगा मुझे पागल हर देखने वाला
चहरे से कुछ बयान तो होना ही नहीं है



हम उनको बुलाने का तकाजा नहीं करते
इंकार मगर उनसे होना भी नहीं है

मेरे आंसुओ पर हसने वाले




मेरे आंसुओ पर हसने वाले
न हसो गम ये बिखर जायेगे
धड़ी भर ठहरो दास्ताँ सुनलो
मौत की गोद में सर रख सो जायेगे
लौट आऊगी जब तुम बुलाओगे
सोचती हूँ तुम क्या रस्मे वफा निभाओगे

Thursday, March 3, 2011

दर्द ए तन्हाई में जीते कैसे है हम आज तुमको सुनाते है...

ये गज़ल मेरे एक मित्र लोकेश जी मे मुझे मेल की थी शायर तो पता नही पर मुझे ये गज़ल बहुत अच्छी लगी


तडपते है कैसे, जीते है कैसे आज तुमको बताते है...
दर्द ए तन्हाई में जीते कैसे है हम आज तुमको सुनाते है...

अब तो न पहले सी बाते है खोया दिन खोयी राते है...
प्यार में ये कैसी बिन मिले मुलाकाते है...

कभी तुम भी आया करो खवाबो में हम तो बिन बुलाये चले आते है...
प्यार ये कैसा अजीब है जो हम तुमपे जताते है...

कैसे कहू, क्या करू बोलू तो तुझसे लब थरथराते है...
कोई पूछे हमसे कैसे तुम बिन हम जी पाते है...

तुमसे दूर हो तो जुदाई के पास हो तो ख़ुशी के आंसू हम बहाते है..
दिल न लगे तो आना हमारी गली, देखना किस कदर प्यार के गुल हम खिलाते है...

वो बतलाये किसी और के साथ किस कदर हम को जलाते है...
कोई हमसे पूछे इस दर्द को किस कदर हम सहते जाते है...

मेरे लिए तो पहली भी तू है और आखिरी भी तू है "N"
राज ये दिल का आज हम तुमको बताते है...