Thursday, March 3, 2011

दर्द ए तन्हाई में जीते कैसे है हम आज तुमको सुनाते है...

ये गज़ल मेरे एक मित्र लोकेश जी मे मुझे मेल की थी शायर तो पता नही पर मुझे ये गज़ल बहुत अच्छी लगी


तडपते है कैसे, जीते है कैसे आज तुमको बताते है...
दर्द ए तन्हाई में जीते कैसे है हम आज तुमको सुनाते है...

अब तो न पहले सी बाते है खोया दिन खोयी राते है...
प्यार में ये कैसी बिन मिले मुलाकाते है...

कभी तुम भी आया करो खवाबो में हम तो बिन बुलाये चले आते है...
प्यार ये कैसा अजीब है जो हम तुमपे जताते है...

कैसे कहू, क्या करू बोलू तो तुझसे लब थरथराते है...
कोई पूछे हमसे कैसे तुम बिन हम जी पाते है...

तुमसे दूर हो तो जुदाई के पास हो तो ख़ुशी के आंसू हम बहाते है..
दिल न लगे तो आना हमारी गली, देखना किस कदर प्यार के गुल हम खिलाते है...

वो बतलाये किसी और के साथ किस कदर हम को जलाते है...
कोई हमसे पूछे इस दर्द को किस कदर हम सहते जाते है...

मेरे लिए तो पहली भी तू है और आखिरी भी तू है "N"
राज ये दिल का आज हम तुमको बताते है...

14 comments:

  1. achhi nazm hai....
    aapki anya kavitayen bhi padha...bhavpravan hain sabhi....
    likhte rahiye,padhte rahiye...shabd to mitti hain,unse kavita roopi moorat gadhte rahiye.

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  2. इंतज़ार और प्यार पे लिखी गयी अनमोल शब्द ...

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  3. बहुत खूब..... कमाल की नज़्म है....

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  4. अनु जी,

    बहुत खूबसूरती से अल्फाजों को पिरोया है........सीधे दिल में उतरती है ये पोस्ट.......बहुत खूब|

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  5. खुबसूरत नज्म शायर कोई भी हो मगर है वह जबरदस्त बहुत खूब बधाई

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  6. तडपते है कैसे, जीते है कैसे आज तुमको बताते है...
    दर्द ए तन्हाई में जीते कैसे है हम आज तुमको सुनाते है...

    खूबसूरत ग़ज़ल ... दर्द के एहसास को समेटे ...

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  7. बहुत खूबसूरती से अल्फाजों को पिरोया है| धन्यवाद|

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  8. बढ़िया रचना है , बड़ी पुरानी यादों में पंहुच गए इसे पढ़कर ! शुभकामनाएं !!

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  9. bahut hi achhi rachna ... achha laga yahan dekhker

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