Tuesday, October 12, 2010
हर तरफ छिटकी चांदनी रात हो
कुछ ऐसी अपनी भी मुलाकात हो
तेरे हाथो ने थामा मेरा हाथ हो
गुफ्तगू में कोई अनोखी बात हो
हर तरफ छिटकी चांदनी रात हो
मजा आता है छुप छुप मिलने का तभी
जब ढूढती हमे सारी कायनात हो
हो होठो पर मिलने की गुजारिश
आँखों में अश्कों की बरसात हो
इश्क नही मानता ऐसी बाते यारा
तुम हो मुफलिस या साहिबे अमारात हो
दुःख में भी लगाओ कहकहा यारो
नामुमकिन है की बाजी मात हो
(अनु -12/10/2010)
Thursday, October 7, 2010
बेसबब हम अश्क बहाए जाते है
दिल के रिश्ते जो आजमाए जाते है
गम जिंदगी के फिर रुलाये जाते है
शमा के साथ परवाना भी जलता है
साथ क्या यूँ निभाए जाते है
टूट कर बिखरे अरमानो की तरह
बेसबब हम अश्क बहाए जाते है
बुझती ही नहीं इश्क की आग यारा
दिल कुछ इस तरह जलाये जाते है
दिल रोता ही रहा तेरी बेवफाई पर
हम उल्फत में जख्म खाए जाते है
संगदिल है वो मगर रोयेगा जरूर
दर्द मेरे उसको भी तडपाये जाते है
Posted via email from धड़कन
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