कोई भी लम्हा कभी लौट कर ना आया
वो शख्स गया ऐसा फिर नजर ना आया
वफा की दश्त में कोई रस्ता ना मिला
सिवाय गर्दे सफर हम सफर ना आया
पलट के आने लगे शाम के परिंदे भी
मगर वो सुबह का भुला घर ना आया
किसी चराग ने पूछी नही खबर मेरी
कोई भी फुल मेरे नाम पर ना आया
ये कैसी बात कही शाम के सितारे ने
कें सकून
दिल को मेरे रात भर ना आया