ये जख्मे जिगर
हम
उठाए कैसे
तुम ही
कहो अब
मुस्कुराए कैसे
आते है
बार बार मेरी आंख मे
आंसू
हम अश्क अपने उनसे छुपाए कैसे
तेरी यादो से
ही रौशन है
मेरी दुनिया
ये दिया अपने हाथो से
बुझाए कैसे
जुबां खुलती नही मेरी तेरी महफिल मे
इस भरे बज्म हम कोई गीत सुनाए कैसे