Saturday, March 2, 2013

ये कैसा मौसम है जो टलता ही नही


रंजो गम का सूरज ढलता ही नही
ये दर्द का मंजर बदलता ही नही

यहाँ हर सू है दर्दो गम के अँधेरे
कोई रोशन चराग जलता ही नही 

नए तूफान का आगाज़ है शायद
ये कैसा मौसम है जो टलता ही नही