Friday, November 30, 2012

अहिस्ता आहिस्ता

 

 

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मिले जब मुझको ऐसे गम अहिस्ता आहिस्ता

हुई तब आँख मेरी पुरनम अहिस्ता आहिस्ता

छोड दिया जब साथ मेरा साये ने

नाजाने होगई कहा मै गुम अहिस्ता आहिस्ता

जुबा से तो कुछ भी निकलता नहीं

फिर भी तन्हाई गाती है हरदम अहिस्ता आहिस्ता

लहू दिल का उतर है मेरी आँख मे

युही बेवजह मुस्कुराये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता

आपकी याद है दिल का चैन जाना

पर आपको भुलाये जाते है हमदम अहिस्ता आहिस्ता

दिल में उठते गुबार से मायूस न हो

सहरा को गुलजार बनाये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता

Sunday, November 25, 2012

दिल को मेरे पत्थर का न बनाओ ऐसे

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तुम इल्जाम मुझ पर न लगाओ ऐसे

दिल को मेरे पत्थर का न बनाओ ऐसे

 

मेरा जिगर तार तार हुआ है कई बार

की   दिल पर   न चोट   लगाओ ऐसे 

 

कुछ रंज मुझको पहले ही घेरे हुए है

तुम मुझको हर बार न सताओ ऐसे

 

शबो रोज याद कर के उस बेवफा को

अब चैन दिल का न तुम गवाओ ऐसे

 

कहा जाऊ मै अपना जख्मे जिगर लेके

कि खुद को मै दुनिया से छिपाऊ कैसे