मिले जब मुझको ऐसे गम अहिस्ता आहिस्ता
हुई तब आँख मेरी पुरनम अहिस्ता आहिस्ता
छोड दिया जब साथ मेरा साये ने
नाजाने होगई कहा मै गुम अहिस्ता आहिस्ता
जुबा से तो कुछ भी निकलता नहीं
फिर भी तन्हाई गाती है हरदम अहिस्ता आहिस्ता
लहू दिल का उतर है मेरी आँख मे
युही बेवजह मुस्कुराये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता
आपकी याद है दिल का चैन जाना
पर आपको भुलाये जाते है हमदम अहिस्ता आहिस्ता
दिल में उठते गुबार से मायूस न हो
सहरा को गुलजार बनाये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता
दिल में उठते गुबार से मायूस न हो ...
ReplyDeleteबहुत खूब
बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteविश्व एड्स दिवस पर रखें याद जानकारी ही बचाव - ब्लॉग बुलेटिन आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धीरे सब कुछ होय..
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeleteab ham bhi yahan aayenge
ahishta ahishta:)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जी ...
ReplyDeletetoo gud
ReplyDeleteबहुत लाजवाब ... सब कुछ हो रहा है पर ... आहिस्ता आहिस्ता ...
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