Thursday, November 6, 2014
Monday, May 26, 2014
जिंदगी के मायने
तुमसे मेरी जिंदगी के मायने बदल गए
कभी राते गई बदल कभी दिन बदल गए
दिल से तो हर मामला साफ कर के चले
आये जब वो सामने तो हम मचल गए
इक रात के हमसफर नजाने क्या हुए
शब भर थे साथ सुबह किधर निकल गए
रो पडती मेरे अंदर की उदासी भी शायद
इससे पहले अश्क बहे हम सभल गए
ये फजा अदावत की किसे रास है आई
तुम जो मुस्कुराये तो कई दिए जल गए
Sunday, May 11, 2014
चाक जिगर
यूँ चाक जिगर हम जब होंगे
ये दर्द मुकम्मल तब होंगे
दिल रोएगा आहे भर भर के
खामोश मगर ये लब होंगे
जब बिछड़े तो मैने ये जाना
तुम साथ मेरे न अब होगे
चहरे से झलकता है हाले दिल
ये फासले जाने कम कब होगे
जब होगा दीदार उस महबूब का
कई तुफां मेरे दिल मे तब होगे
Sunday, April 6, 2014
होने लगा
सहने गुलशन पे खिजाओं का असर होने लगा
अब तेरा गम भी मेरा हमसफर होने लगा
बेसहारों को सहारा दिया जिसने कल तक
क्या सितम आज खुद वो दरबदर होने लगा
हौले हौले उनके रगों मे सनसनाहट आई
नफ़रतों के जहर का ऐसा असर होने लगा
थे दरों दीवार उसके खंडहर की तरह
धीरे धीरे बे लबादा हर शजर होने लगा
मेरे उजड़ने की जब कहानी सुनी उसने
आंसुओं से चेहरा उसका तरबतर होने लगा
अनु -29/3/2014
Sunday, March 30, 2014
इससे पहले की दुनियाँ मुझे रुसवा कर दें
इससे पहले की दुनियाँ मुझे रुसवा कर दें
तू मेरे जिस्म से मेरी रूह को फना कर दें
मुझको हर सिम्त अंधेरा ही नजर आता है
तू मेरी आँखों मे रोशनी का दरिया भर दें
ये जो हालत है मेरे ही बनाए हुये है मगर
मुझको वो इबादत दें जो मुझे जिंदा कर दें
Wednesday, March 12, 2014
फागुन
फूलो के घेरे मे,तितलियों संग फेरे मे
बागन मे गलियन मे, मदमाती कलियन मे
आमो की बौर मे उलझाया सा मन
ऐसे फिज़ाओं मे फागुन रचा है
सरसों के रंग मे महुए की गंध मे
अपनो के संग मे बहती उमंग मे
गुनगुनी धुप मे बौराया सा मन
ऐसे हवाओं मे फागुन सजा है
गोरी के अंग मे केसरिया रंग मे
ढ़ोल और मृदंग मे गोपियों के संग मे
सूरत सलोनी के सतरंगी सपनों मे
ऐसे निगाहों मे फागुन बसा है