Thursday, November 6, 2014

वफा जिसने भी अपनाई है







वफा  जिसने  भी   अपनाई है
यही चोट  उस ने भी खाई है
 
मेरे जख्म खुलने लगे है अब
चमन में ये कैसी बहार आई है
 
खुशी के  एहसास  हवा होगये
गमो  से मेरी  यूँ शानासाई है
 
तमाशे अब और क्या देखने है
क्या मेरी नजर ही तमाशाई है
 
आज धड़कता है दिल तेजी से
फिर बेवजह याद तेरी आई है