रोज जीते है यूँ रोज मरते है
हाले दिल उनसे कहते डरते है
हम तो सूखे हुए पत्ते की तरह
रोज ही टूट कर बिखरते है
उनको कब है ख्याल अपना
एक हम ही उनका दम भरते है
रोज आते है ठहरते है चले जाते है
काफिले यादों के पलको में उतरते है