Wednesday, March 28, 2012

सूखे हुए पत्ते

imagesरोज जीते है यूँ रोज मरते है

हाले दिल उनसे कहते डरते है

हम तो सूखे हुए पत्ते की तरह

रोज ही  टूट कर  बिखरते है

उनको कब है ख्याल अपना

एक हम ही उनका दम भरते है

रोज आते है ठहरते है चले जाते है

काफिले यादों के पलको में उतरते है

7 comments:

  1. हम तो सूखे हुए पत्ते की तरह

    रोज ही टूट कर बिखरते है

    बहुत खूब

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  2. गहरी अभिव्यक्ति भावों की।

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  3. बहुत खूब ... जिंदगी के कुछ लम्हे उदासी में घिर जाते हैं ... उन्ह को याद कर के लिखी रचना ...

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  4. hmmmmm....दिगंबर जी की बात से सहमत हैं अपन.....

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  5. हम तो सूखे हुए पत्ते की तरह

    रोज ही टूट कर बिखरते है

    बहुत खूब

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  6. उनको कब है ख्याल अपना

    एक हम ही उनका दम भरते है
    beautiful......

    mauka mile to aap idhar bhi padharen...

    http://bhukjonhi.blogspot.in/

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