इससे पहले की दुनियाँ मुझे रुसवा कर दें
तू मेरे जिस्म से मेरी रूह को फना कर दें
मुझको हर सिम्त अंधेरा ही नजर आता है
तू मेरी आँखों मे रोशनी का दरिया भर दें
ये जो हालत है मेरे ही बनाए हुये है मगर
मुझको वो इबादत दें जो मुझे जिंदा कर दें
ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की क़िताब'अदम गोंडवी'
बहुत अच्छा। ।
वाह ! बहुत ही सुन्दर...!RECENT POST - माँ, ( 200 वीं पोस्ट, )
mast....aahe
बस एक इबादत कि चाह ... और कुछ भी नहीं ...बहुत उम्दा शेर हैं ... लाजवाब ...
यूँ चुप न रहिये ... कुछ तो कहिये
ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब
ReplyDeleteभुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब
पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की क़िताब
'अदम गोंडवी'
बहुत अच्छा। ।
ReplyDeleteवाह ! बहुत ही सुन्दर...!
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mast....aahe
ReplyDeleteबस एक इबादत कि चाह ... और कुछ भी नहीं ...
ReplyDeleteबहुत उम्दा शेर हैं ... लाजवाब ...