Sunday, March 30, 2014

इससे पहले की दुनियाँ मुझे रुसवा कर दें

 

passion

इससे पहले की दुनियाँ मुझे रुसवा कर दें

तू मेरे जिस्म से मेरी रूह को फना कर दें

 

मुझको हर सिम्त अंधेरा ही नजर आता है

तू मेरी आँखों मे रोशनी का दरिया भर दें

 

ये जो हालत है मेरे ही बनाए हुये है मगर

मुझको वो इबादत दें जो मुझे जिंदा कर दें

 

                                               

5 comments:

  1. ज़ुल्फ़-अंगडाई-तबस्सुम-चाँद-आईना-गुलाब
    भुखमरी के मोर्चे पर ढल गया इनका शबाब

    पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी
    इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की क़िताब
    'अदम गोंडवी'

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  2. बहुत अच्छा। ।

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  3. बस एक इबादत कि चाह ... और कुछ भी नहीं ...
    बहुत उम्दा शेर हैं ... लाजवाब ...

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