दूर कही गाँव में
पीपल की छांव में
बच्चे खेल रहे है गोली
याद आती है मासूम ठिठोली
खेतों खलिहानो में
गलियों मैदानों में
दौड रही है फगुओ की टोली
याद आती है गांव की होली
तीजो त्योहारों में
गलियों चौबारो में
भाभी बनाती है रंगोली
याद आये दुल्हनियां की डोली
अमवा की डाली में
बेरी की झाडी में
लुक छिप जाते हमजोली
आज सुधि की पिटारी है खोली
बड़ी ही प्यारी कविता।
ReplyDeletebahut khoobsurat likha hai............Anu ji
ReplyDeleteregards
sanjay bhaskar
bahut sunder ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता ......
ReplyDeleteमधुर ... प्यारी कविता ... भोली भाली ...
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