आज फिर इस
तरह तुम्हे
याद किया
हमने अपने
आप खुद
को बर्बाद किया
तब मिला मुझको मेरी वफाओं का
सिला
प्यार के
रिश्ते से
जब तुझको आजाद किया
चार दिन की
जिंदगी क्या दुश्मनी क्या रंजिशें
हमने दुश्मनों से
अपनी दोस्ती को
आबाद किया
उसने भी
मुजरिम समझा और
फेर ली
आँखे
हमने तो
कई बार उसके दर पर
फरियाद किया
बहुत ख़ूब
ReplyDeleteचार दिन की जिंदगी क्या दुश्मनी क्या रंजिशें
ReplyDeleteहमने दुश्मनों से अपनी दोस्ती को आबाद किया
उसने भी मुजरिम समझा और फेर ली आँखे
हमने तो कई बार उसके दर पर फरियाद किया.wah kya bat hain ....
गज़ब के शेर हैं सभी ... बेहद उमदा गज़ल ...
ReplyDeleteचार दिन की जिंदगी क्या दुश्मनी क्या रंजिशें
वाऽह ! क्या बात है !
अनु जी
बहुत खूबसूरत !
शुभकामनाओं सहित…
Amazing..
ReplyDeleteचार दिन की जिंदगी क्या दुश्मनी क्या रंजिशें
हमने दुश्मनों से अपनी दोस्ती को आबाद किया
बहुत खूबसूरत !