Wednesday, December 5, 2012

( गाँव की बोली)

A Village scene

दूर कही गाँव में

पीपल की छांव में

बच्चे खेल रहे है गोली

याद आती है मासूम ठिठोली

खेतों खलिहानो में

गलियों मैदानों में

दौड रही है फगुओ की टोली

याद आती है गांव की होली

तीजो त्योहारों में

गलियों चौबारो में

भाभी बनाती है रंगोली

याद आये दुल्हनियां की डोली

अमवा की डाली में

बेरी की झाडी में

लुक छिप जाते हमजोली

आज सुधि की पिटारी है खोली

5 comments:

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