दिल के रिश्ते जो आजमाए जाते है
गम जिंदगी के फिर रुलाये जाते है
शमा के साथ परवाना भी जलता है
साथ क्या यूँ निभाए जाते है
टूट कर बिखरे अरमानो की तरह
बेसबब हम अश्क बहाए जाते है
बुझती ही नहीं इश्क की आग यारा
दिल कुछ इस तरह जलाये जाते है
दिल रोता ही रहा तेरी बेवफाई पर
हम उल्फत में जख्म खाए जाते है
संगदिल है वो मगर रोयेगा जरूर
दर्द मेरे उसको भी तडपाये जाते है
Posted via email from धड़कन
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeleteमेरि तरफ से मुबारकबादी क़ुबूल किजिये.
ReplyDeleteसुन्दर गज़ल है दुनिया का दर्द समेटे हुए सी.
ReplyDeleteसंगदिल है वो मगर रोयेगा जरूर
दर्द मेरे उसको भी तडपाये जाते है'वाह अरे यही प्रेम की गहराई है और अपने प्रेम पर यकीन भी .प्रेम अपना असर तो छोडेगा ही ना.पत्थर में फूल खिला देता है प्रेम.बस किये जाओ बिना किसी शिकवा,शिकायत और प्रतिफल या आशा के.
वो चाहे अपने पति से हो या बच्चों से या रिश्तेदारों और दोस्तों से.सच्ची सुखी रहना सीख जाओगी.मस्त मस्त
संगदिल है वो मगर रोयेगा जरूर
ReplyDeleteदर्द मेरे उसको भी तडपाये जाते है....
bahut sundar gazal...bhav dil ko chhoo lete hain...badhaai..
bahut hi achchhi gazal hai... waah, kya kahne!
ReplyDeleteबुझती ही नहीं इश्क की आग यारा
दिल कुछ इस तरह जलाये जाते है
दिल रोता ही रहा तेरी बेवफाई पर
हम उल्फत में जख्म खाए जाते है
संगदिल है वो मगर रोयेगा जरूर
ReplyDeleteदर्द मेरे उसको भी तडपाये जाते हैं.
गहराई से शब्दों को उतार तो दिया है ये गज़ल लिख कर किसी संगदिल के दिल में...अगर वो पढ़े तो...सच में तड़प ही जाएगा.
बहुत सुंदर .
प्रेम का यही प्रभाव है, असर कहीं और होता है।
ReplyDeleteसंगदिल है वो मगर रोयेगा जरूर
ReplyDeleteदर्द मेरे उसको भी तडपाये जाते है ....उम्दा..
यहां आकर अच्छा लगा....फिर आऊंगा..
bahut khub... achhi gajal hai... pahli baar aaya hun ab aata rahunga...
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