हर तरफ छिटकी चांदनी रात हो
कुछ ऐसी अपनी भी मुलाकात हो
तेरे हाथो ने थामा मेरा हाथ हो
गुफ्तगू में कोई अनोखी बात हो
हर तरफ छिटकी चांदनी रात हो
मजा आता है छुप छुप मिलने का तभी
जब ढूढती हमे सारी कायनात हो
हो होठो पर मिलने की गुजारिश
आँखों में अश्कों की बरसात हो
इश्क नही मानता ऐसी बाते यारा
तुम हो मुफलिस या साहिबे अमारात हो
दुःख में भी लगाओ कहकहा यारो
नामुमकिन है की बाजी मात हो
(अनु -12/10/2010)
जज़्बात पर आपकी प्रतिक्रिया का मैं तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ..........आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा .........बहुत खुबसूरत रचनाये है आपकी.......ये पंक्तियाँ बहुत पसंद आयीं-
ReplyDelete"इश्क नही मानता ऐसी बाते यारा
तुम हो मुफलिस या साहिबे अमारात हो
दुःख में भी लगाओ कहकहा यारो
नामुमकिन है की बाजी मात हो "
और खास आपकी पोस्ट के साथ जो तस्वीरें हैं वो बहुत ही अच्छी लगी.......आपकी पसंद की दाद देता हूँ........मैं समझता हूँ की इन तस्वीरों को ढूँढने में कितनी मेहनत करनी पड़ती है.........इस उम्मीद में आपको फॉलो कर रहा हूँ की आगे भी ऐसी ही कुछ बेहतरीन पोस्ट पड़ने को मिलेंगी........शुभकामनाये|
माफ़ कीजिये मगर मुझे आपके ब्लॉग पर अनुसरण करें/ समर्थक का विजेट नहीं मिला|
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत ही प्रवाहपूर्ण है
ReplyDeleteबहुत अच्छी लगी
बधाई
ब्लॉग पर आने को धन्यवाद
अनीता जी,
ReplyDeleteदुःख में भी लगाओ कहकहा यारो
नामुमकिन है की बाजी मात हो
बहुत ही ऊम्दा कहा है......
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
लिल्लाह!
ReplyDeleteआशीष
VAAH VAAH... SUNDAR RACHNA
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