हाले दिल उनको सुनाया तो बुरा मान गए
जख्मे दिल अपना दिखाया तो बुरा मान गए
हमने बांधे हुए थे अपने जज्बात के तूफान
सैलाब अश्को के उमड़ आया तो बुरा मान गए
जो मोहोब्बत में कभी दी थी निशानी मुझको
उसको दुनिया को दिखाया तो बुरा मान गए
बेवफाई का गिला हमसे था अक्सर तुमको
यही सवाल हमने दोहराया तो बुरा मान गए
मुहब्बत में जो साथ गुजारा था कभी 'अनु'
लम्हा वो याद दिलाया तो बुरा मान गए
बात यू तो काम की ही थी,
ReplyDeleteहमने कहा तो बुरा मान गये।
हम आ के चले जाते
ReplyDeleteमगर कमेन्ट दे भी दिया
तो बुरा मान गए...
हा.हा.हा.सुंदर गज़ल.
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया .............माफी चाहता हूँ..
अनु जी,
ReplyDeleteआपको मेरे ब्लॉग पर लिखी पोस्ट पसंद आती हैं ...इसके लिए मैं तहेदिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ .....ये आपकी ज़र्रानवाज़ी है |
आज शायद पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.....बहुत सुन्दर ब्लॉग है आपका.....बहुत अच्छी रचना है आपकी कुछ शेर बहुत उम्दा लगे और हाँ कुछ मात्रात्मक गलतियाँ मिली है हो सके तो उन्हें दुरुस्त कर लें ....देर से आने की माफ़ी के साथ आपको फॉलो कर रहा हूँ....ताकि आगे भी साथ बना रहे|