Saturday, December 5, 2009

सफर

कितने मुश्किल और तकलीफदेह होते है कुछ सफर जो कटते ही नही ,जेसे ,ख्वाब से हकीकत तक का सफ़र ,तमन्ना से दिल तक का सफ़र ,इस सफ़र में बदन चूर -चूर होजाता है मगर ख्वाहिशें दम नही तोडती ,दिल आखरी लम्हे तक बहुत खुशगुमान रहता है....... मोहब्बत करना मुश्किल और निभाना और भी ज्यादा मुश्किल........ मोहब्बत पाने की लगन लहू भरे समंदर में नहाने के बराबर है

ऐ खुदा ,तुने मोहब्बत ये बनाई क्यों है
गर बनाई तो मोहब्बत में जुदाई क्यों है

क्यों दिया प्यार मुझे इसकी जरूरत क्या थी
मेरी बरबादियों में तेरी हिमाकत क्या थी

मरी रहोमें तो खुशबू का सफ़र रहता था
दिल में आबाद गुलाबों का नगर रहता था

जिन्दगी काँटों भरे रस्ते पर लाई क्यों है
ऐ खुदा ,तुमे मोहब्बत बनाई क्यों है

5 comments:

  1. कविता में दर्द का भाव अच्छे है

    ReplyDelete
  2. भावों का प्रबल प्रवाह....बहुत खूब!

    ReplyDelete
  3. bahut badiya, BEHTAREEN...ऐ खुदा ,तुने मोहब्बत ये बनाई क्यों है|
    hum na karen muhabbat ye sambhav bhi nahi,
    aur muhabbat me katen na hon ye hota hi nahi,
    jamane se chhipkar dil ko bada dard deten hain,
    aye khuda, bata hum muhabbat kyun karten hain....

    ReplyDelete
  4. हर शब्द की अपनी एक पहचान बहुत खूब कहा अपने आभार
    ये कैसी मोहब्बत है

    ReplyDelete
  5. i am very like for you shayari and you

    ReplyDelete

यूँ चुप न रहिये ... कुछ तो कहिये