Sunday, July 11, 2010

गीली मिट्टी कि खुशबु

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मुझे गीली मिट्टी कि खुशबु बहुत अच्छी लगती है गीली मिट्टी यानि बारिश के बाद कि महक सोंधी सोंधी महक ये दिलो दिमाग पर अजब सा जादू करती है बारिश ,बारिश कि हलकी हलकी बुँदे , आसमान सफ़ेद और सुरमई बादलों से पूरी तरह ढका और हर तरफ बारिश कि सोंधी भीनी भीनी खुशबु ऐसी खुशबु इंसान के दिलो दिमाग पर छा जाती है बारिश कि ठंडी मीठी बुँदे और उनकी आवाज एक संगीतमय समा सा बनाती है तेज और हल्की बूंदों का जादू ........कच्ची मिट्टी पर ,पक्की सडक पर ,काँच कि खिड़की पर ,टिन कि छत पर ,फूलो पर , पत्तों पर ,हर जगह ,हर चीज पर.....कभी टिप टिप कभी टप टप और कभी छम छम... एक अजब सा जादू होता है इस में इसे सुनने का मजा ही कुछ और होता है कभी गौर से सुनिए इस संगीत को और इस खुशबु को समेट लीजिए अपने अंदर महसूस कीजिये इस जादू को सच....सबकुछ भूल जायेगे यहाँ तक कि खुद को भी.....

7 comments:

  1. सच कहा...मुझे भी यह महक पसंद है.

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  2. कच्ची मिट्टी तो महकेगी यह है उसकी मज़बूरी
    अच्छी लगी

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  3. सोंधापन अच्छा लगता है।

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  4. नमी बहुत ख़तरनाक चीज़ है - ख़ुश्बू की आड़ में ये कमज़ोरियों को जन्म देती है। ख़ासकर दिल के लिए ये मौसम क़तई मुफ़ीद नहीं होता - परदेसियों को देस की, सहर को गाँव की, आस्माँ को ज़मीन की - याद से सराबोर कर देती है ये सोंधी महक!
    याद आ गया कि -

    छोड़ी हुई ज़मीन की महकार के सिवा
    सारे मज़े मिले मुझे ऊँची उड़ान में !

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  5. मिट्टी की खूशबू के क्या कहने ..
    सुन्दर अभिव्यक्ति

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  6. ऊपर मेरे कमेण्ट में 'सहर' को 'शहर' पढ़ें कृपया।

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  7. Raj : bahot achha hai :)

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यूँ चुप न रहिये ... कुछ तो कहिये