तुमसे मेरी जिंदगी के मायने बदल गए
कभी राते गई बदल कभी दिन बदल गए
दिल से तो हर मामला साफ कर के चले
आये जब वो सामने तो हम मचल गए
इक रात के हमसफर नजाने क्या हुए
शब भर थे साथ सुबह किधर निकल गए
रो पडती मेरे अंदर की उदासी भी शायद
इससे पहले अश्क बहे हम सभल गए
ये फजा अदावत की किसे रास है आई
तुम जो मुस्कुराये तो कई दिए जल गए
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अक्ल का इक्वेशन - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteफिर कुछ इस दिल को बेक़रारी है ,
ReplyDeleteसीना जोया-ए-ज़ख्म-ए-कारी हैं ,,
फिर हुए हैं गवाह-ए-इश्क तलब ,
अश्क -बारी का हुकुम-ज़ारी है ,,
बे-खुदी बे-शबब नहीं ? ग़ालिब ?
कुछ तो हैं जिसकी पर्दा-दारी है ..?
...........................चचा ग़ालिब
so touching
ReplyDeletetouching...
ReplyDeletevisit me to read :गुज़ारिश ...on
http://rahulpoems.blogspot.in/2014/06/blog-post.html
वाह
ReplyDeleteबहुत खुब