बे सबब अश्क बहाने की जरूरत क्या थी
दर्दे दिल सबको दिखाने की जरूरत क्या थी
जीत का जश्न मनाने की जरूरत क्या थी गर शिकारी थे तो करते शिकार कोई नया
किसी घायल पर निशाने की जरूरत क्या थी इतने नाजुक हैं कि सांसो से पिघल जाते है
बिजलियाँ हम पे गिराने कि जरूरत क्या थी
(24/2/2010अनु)
Posted via email from धड़कन
simply superb. Nice one.
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