तनहाइयों का सिलसिला ये कैसा है
गर वो मेरा है तो फासला ये कैसा है
तुम न आओगे कभी ये मै जानती हूँ
फिर तेरी यादो का काफिला ये कैसा है
कभी नाचती थी खुशियाँ मेरे आंगन में
अब उदासियों का मरहला ये कैसा है
देख लूँ उसको तो दिल को सुकूं आये
मुझे जान से प्यारा दिलजला ये कैसा है
एहसास हो जायेगा मेरे जज़्बात का तुझे
देख मेरी आँखों में ज़लज़ला ये कैसा है
न इश्क ही जीता और न दिल ही हारा
वफ़ा की राह में मेरा हौसला ये कैसा है
हौसला तुझमे भी नहीं है जुदा होने का
दूर हो कर भी भला मामला ये कैसा है
(ये मेरी पहली गज़ल है .... अगर पसंद आये तो हौसला दें) (1/2/2010---अनु )
Posted via email from धड़कन
nice gajal Anita ji, carry on it.
ReplyDeletebahot khub .................. sabhi likhte hai , isiliye maine bhi yun hee nahi likh diya hai . anita ji aap sach me bahot achchha likhte hai .
ReplyDeleteaapki likhi kai post ko main copy karke rakhti hun . aise hee likhte rahe .
वहा बहुत खूब बेहतरीन
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।
बहुत खूब
ReplyDeletebahut khoob hai dear
ReplyDeletenice poetry dear....
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