अपनी हस्ती उजाड कर देखो
गलती ये एक बार कर देखो
प्यार के खेल में मेरे दिलबर
जीत क्या शय है हार कर देखो
हमने एक उम्र काट दी जैसे
तुम एक शब् गुजार कर देखो
लौट आउंगी फिर से पास तेरे
दिल से मुझको पुकार कर देखो
फिर बुरा नज़र न आएगा कोई
खुद का चेहरा निखार कर देखो
(10/2/2010-अनु )
Posted via email from धड़कन
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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