Thursday, March 25, 2010

Untitled


दिल से मेरे लिपटा वो किसी राज की सूरत
वो शख्स जिसे मेरा कभी होना नहीं है

इश्को मोहोब्बतों के है किस्से बड़े अजीब
पाना भी नहीं है उसे खोना भी नहीं है

समझेगा मुझे पागल हर देखने वाला
चहरे से कुछ बयान तो होना ही नहीं है

हम उनको बुलाने का तकाजा नहीं करते
इंकार मगर उनसे होना भी नहीं है
(11/2/2010-अनु)


1 comment:

यूँ चुप न रहिये ... कुछ तो कहिये