दर्दे दिल आँख से बह कर निकले
हाल पे मेरे वो चुपचाप मुस्कुराता ही रहा
दिखाया जब भी उसको जख्मे जिगर
नोक से काँटों की मरहम वो लगता ही रहा
बह गई मै भी तेरी चाहत में 'अनु'
इश्क दरिया है लोगो को डुबाता ही रहा
(14/2/2010-अनु )
Posted via email from धड़कन
बहुत सुन्दर रचना । आभार
ReplyDeleteढेर सारी शुभकामनायें.
इश्क दरिया है लोगो को डुबाता ही रहा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना।