माना की आँख में नींद के सिलसिले नहीं
शिकस्त खवाब के मुझमे अब हौसले नहीं
ये खबर मेरे दुश्मनों ने दी होगी तुमको
वो आये आके चलेगये और मिले भी नहीं
कौन है वो जो करता है अधेरो की बात
चाँद तेरी याद के अभी तो ढले ही नहीं
अभी से हाथ तेरे थकने लगे है दिलदार
अभी तो जख्म जिगर के मेरे सिले ही नहीं
ना दबाव चाहत को की दिल में ही रह जाए
गुल तो अपनी मोहोब्बत के अभी खिले ही नहीं
काफी सुन्दर शब्दों का प्रयोग किया है आपने अपनी कविताओ में सुन्दर अति सुन्दर
ReplyDeleteमेरि तरफ से मुबारकबादी क़ुबूल किजिये.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया/.
ReplyDeleteये पहले भी पढ कर आयी हूँ बहुत अच्छी लगी। बधाई
ReplyDeleteबड़ी सुन्दर पंक्तियाँ।
ReplyDeleteये खबर मेरे दुश्मनों ने दी होगी तुमको
ReplyDeleteवो आये आके चलेगये और मिले भी नहीं
कौन है वो जो करता है अधेरो की बात
चाँद तेरी याद के अभी तो ढले ही नहीं
यूँ तो पूरी गजल ही बड़ी प्यारी है ,पर ये दो शे'र बहुत खूब कहे हैं.
इंतज़ार है,प्यार है,उदासी और निराशा नही.बस इसलिए और दिल को छू गई.
एइ! सचमुच छू गई. ये वो 'कमेंट्स वाला' छू जाना नही है
गीत हो. गजल हो पर....उनमे जिंदगी के गीत हो.बस इतनी प्रार्थना है तुमसे
Behad khoobsoorat prastuti
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