कुछ ऐसी अपनी भी मुलाकात हो
तेरे हाथो ने थामा मेरा हाथ हो
गुफ्तगू में कोई अनोखी बात हो
हर तरफ छिटकी चांदनी रात हो
मजा आता है छुप छुप मिलने का तभी
जब ढूढती हमे सारी कायनात हो
हो होठो पर मिलने की गुजारिश
आँखों में अश्कों की बरसात हो
इश्क नही मानता ऐसी बाते यारा
तुम हो मुफलिस या साहिबे अमारात हो
दुःख में भी लगाओ कहकहा यारो
नामुमकिन है की बाजी मात हो
(अनु -12/10/2010)