Saturday, January 8, 2011

कटता नहीं अब अनजान रास्तो का सफर




कौन है जो देगया मुश्किलों की राहगुजर
कटता नहीं अब अनजान रास्तो का सफर

धड़कता है दिल किस अनजान हादसे से
डाला है किसने मन में एक अजीब सा डर

सूरज के मुह पर उतरा है कैसा लाल लहू
कटा है फिर वफा की राह में किसी का सर

है कौन वो जिसने बेकरारीयां मुझे अता की
है किसकी मेहरबानियो से उदास शामो सहर

उसके प्यार में मासूम दिल सह रहा जो दर्द
सोचती हूँ कौन है जो दे गया मुझको ये हुनर

4 comments:

  1. न शिकवा दुश्मनों का , न शिकवा हबीबों का !
    शिकायत है तो किस्मत कि , गिला है तो नसीबों का !

    बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !
    बधाई दोस्त !

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  2. उसके प्यार में मासूम दिल सह रहा जो दर्द
    सोचती हूँ कौन है जो दे गया मुझको ये हुनर

    खूबसूरत ग़ज़ल.........लिखते रहिये

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  3. Kya khoob likhti hoo anu G
    kya main aapko Anuradha likh(pukaar)sakta hoon
    ase hi likhti raheyiga

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  4. AAp ke shabdo main kitna dard hota hai
    Kitna dard likhti hain aap
    Bahut khoob

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