कौन है जो देगया मुश्किलों की राहगुजर
कटता नहीं अब अनजान रास्तो का सफर
धड़कता है दिल किस अनजान हादसे से
डाला है किसने मन में एक अजीब सा डर
सूरज के मुह पर उतरा है कैसा लाल लहू
कटा है फिर वफा की राह में किसी का सर
है कौन वो जिसने बेकरारीयां मुझे अता की
है किसकी मेहरबानियो से उदास शामो सहर
उसके प्यार में मासूम दिल सह रहा जो दर्द
सोचती हूँ कौन है जो दे गया मुझको ये हुनर
न शिकवा दुश्मनों का , न शिकवा हबीबों का !
ReplyDeleteशिकायत है तो किस्मत कि , गिला है तो नसीबों का !
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !
बधाई दोस्त !
उसके प्यार में मासूम दिल सह रहा जो दर्द
ReplyDeleteसोचती हूँ कौन है जो दे गया मुझको ये हुनर
खूबसूरत ग़ज़ल.........लिखते रहिये
Kya khoob likhti hoo anu G
ReplyDeletekya main aapko Anuradha likh(pukaar)sakta hoon
ase hi likhti raheyiga
AAp ke shabdo main kitna dard hota hai
ReplyDeleteKitna dard likhti hain aap
Bahut khoob