Monday, February 21, 2011

प्यार की हद से ज्यादा प्यार किया



कभी नजर से गिरा दिया
कभी दिल में बसा दिया
मुहब्बत में तुमने हमे
कभी हंसा तो कभी रुला दिया
कभी प्यार बेसुमार किया
कभी दर्द बेइंतिहा दिया
अपनी दीवानगी में तुमने हमे
किस मक़ाम पर पंहुचा दिया
कभी मुसान में भर मिला दिया
कभी सेहरा में तन्हा कर दिया
दिल को खिलौना समझ कर तुमने
हमे हर खेल में हरा दिया
कभी उम्मीदों को बढा दिया
कभी मायूसियो ने जीना दुश्वार किया
फिर भी हमदम हम ने तुम्हें
प्यार की हद से ज्यादा प्यार किया

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

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  2. एकतरफा प्यार और उसकी स्वीकरोक्ति।

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  3. "फिर भी हमदम हम ने तुम्हें
    प्यार की हद से ज्यादा प्यार किया "

    Waah sundar baat... Bahut sundar.

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  4. वाह क्या बात है, बहुत ही खूबसूरत कविता !

    आभार !!

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  5. sundar bhaav. inko sheron men dhalaaja sakataa hai. bhavishya men aake sher dhoom machayenge, mujhe poora vishvaas hai.

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  6. pasand karne layak. badhai...yun hi likhate rahiye sada. chahe gam ho ya khushi.

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  7. pyar me aadmi girta nahin hai...pyar to utha deta hai ....ek alag hi satah par le jaata hai pyar...jo gira de wo pyar nahi...

    Rachna achhi hai...prayas bhi achha hai...jhakjhorne ke liye kafi hai...likhte rahiye ...achha likhti hain aap.

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  8. अपनी पीड़ा की अच्छी अभिव्यक्ति ! शुभकामनायें !!

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