Monday, April 25, 2011

अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत



तुम ही थे मेरे इश्क से अनजान बहुत
वरना इस दिल में थे अरमान बहुत

ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
अश्क मुझे  करते हैं  परेशान बहुत

फिर से बह निकली मुहब्बत की हवा  
पर वहाँ  जज़्ब हैं  तूफ़ान बहुत

जी तो लेती ‘अनु’तेरे बगैर मगर
जिंदगी होती नहीं है आसान बहुत
                            (10/2/2010- अनु)
Posted via email from धड़कन

14 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...

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  2. ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
    अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत

    maar dala.....jabardast.

    ek line apke liye...

    gam na kar rakh le dil pe pathher e ajeej
    rakeeb to ashk ke saude kiya karte sabhi.

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  3. वाह!! बेहतरीन...

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  4. अनु जी,

    सुभानाल्लाह.....बहुत खूबसूरत शेर ......आजकल आप बहुत अच्छा लिख रही हैं.....बहुत दिनों से मेरे ब्लॉग पर दर्शन नहीं दिए आपने.......कोई नाराज़गी तो नहीं ?

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  5. ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
    अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
    वाह!! बहुत खूबसूरत शेर .

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  6. हमेशा की तरह इस बार भी बहुतखूबसूरत
    आगे के लिए शुभकामनाएँ

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  7. ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
    अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत

    behtareen ghazal!

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  8. बेहतरीन, हमेशा की तरह।

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  9. ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
    अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत

    बहुत खूब...क्या शेर है..
    बहुत अच्छी ग़ज़ल

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  10. anita ji
    mujhe apna samarthan dene ke liye aapko bahut hi
    hardik badhai .
    aapki gazal ne to man ke jajbaatoko bahut hi khoob surati ke saath ukera hai.
    bahut hi badhiya shabdo ka chayan ,har panktiyan bahut hi sundar
    जी तो लेती ‘अनु’तेरे बगैर मगर
    जिंदगी होती नहीं है आसान बहुत
    blikul sahi kathan
    bahut bahiut dhanyvaad
    poonam

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  11. बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर .

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  12. kamal ka likhti hai aap sach me lajawab hai

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  13. ittifaq se aapko pahli baar padhne ka mauka mila man yakinan bahut khush hua
    yun to jo bhi padha ab tak ni:sandeh bahut hi asardaar laga lekin is khoobsurat rachna par ..
    daad diye bina chupke se nikal jana gunaah hi hota

    daad hazir hai kubool karen

    तुम ही थे मेरे इश्क से अनजान बहुत
    वरना इस दिल में थे अरमान बहुत

    ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
    अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत

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  14. वाह! बहुत सुंदर।

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