तुम ही थे मेरे इश्क से अनजान बहुत
वरना इस दिल में थे अरमान बहुत
ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
फिर से बह निकली मुहब्बत की हवा
पर वहाँ जज़्ब हैं तूफ़ान बहुत
जी तो लेती ‘अनु’तेरे बगैर मगर
जिंदगी होती नहीं है आसान बहुत
(10/2/2010- अनु)
Posted via email from धड़कन
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
ReplyDeleteज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
ReplyDeleteअश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
maar dala.....jabardast.
ek line apke liye...
gam na kar rakh le dil pe pathher e ajeej
rakeeb to ashk ke saude kiya karte sabhi.
वाह!! बेहतरीन...
ReplyDeleteअनु जी,
ReplyDeleteसुभानाल्लाह.....बहुत खूबसूरत शेर ......आजकल आप बहुत अच्छा लिख रही हैं.....बहुत दिनों से मेरे ब्लॉग पर दर्शन नहीं दिए आपने.......कोई नाराज़गी तो नहीं ?
ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
ReplyDeleteअश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
वाह!! बहुत खूबसूरत शेर .
हमेशा की तरह इस बार भी बहुतखूबसूरत
ReplyDeleteआगे के लिए शुभकामनाएँ
ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
ReplyDeleteअश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
behtareen ghazal!
बेहतरीन, हमेशा की तरह।
ReplyDeleteज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
ReplyDeleteअश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
बहुत खूब...क्या शेर है..
बहुत अच्छी ग़ज़ल
anita ji
ReplyDeletemujhe apna samarthan dene ke liye aapko bahut hi
hardik badhai .
aapki gazal ne to man ke jajbaatoko bahut hi khoob surati ke saath ukera hai.
bahut hi badhiya shabdo ka chayan ,har panktiyan bahut hi sundar
जी तो लेती ‘अनु’तेरे बगैर मगर
जिंदगी होती नहीं है आसान बहुत
blikul sahi kathan
bahut bahiut dhanyvaad
poonam
बहुत मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर .
ReplyDeletekamal ka likhti hai aap sach me lajawab hai
ReplyDeleteittifaq se aapko pahli baar padhne ka mauka mila man yakinan bahut khush hua
ReplyDeleteyun to jo bhi padha ab tak ni:sandeh bahut hi asardaar laga lekin is khoobsurat rachna par ..
daad diye bina chupke se nikal jana gunaah hi hota
daad hazir hai kubool karen
तुम ही थे मेरे इश्क से अनजान बहुत
वरना इस दिल में थे अरमान बहुत
ज़ब्त ए गम आँख को पत्थर कर दे
अश्क मुझे करते हैं परेशान बहुत
वाह! बहुत सुंदर।
ReplyDelete