Wednesday, March 23, 2011

मेरे आंसुओ पर हसने वाले




मेरे आंसुओ पर हसने वाले
न हसो गम ये बिखर जायेगे
धड़ी भर ठहरो दास्ताँ सुनलो
मौत की गोद में सर रख सो जायेगे
लौट आऊगी जब तुम बुलाओगे
सोचती हूँ तुम क्या रस्मे वफा निभाओगे

2 comments:

  1. अनु जी,

    सुभानाल्लाह.....बहुत गहरे...बड़ा दर्द है .....एक साथ दो गजलों का तोहफा अच्छा लगा |

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  2. gd mrng --अनु जी ,
    लगता है आपने अपने दिल को जख्मो का समुन्दर बना रखा है
    बहुत अछे से पेस किया है दिल के जख्मो को

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