उजड़े ख्वाबो की है एक कहानी सुनो
है जो हमको तुम्ही को सुनानी सुनो
जीत पर अपनी क्यों इतना मगरूर हो
हार हमने है खुद अपनी मानी सुनो
मुझको मालूम है बाद मरने मेरे
याद सबको हमारी है आनी सुनो
मुझसे छीनो ना मेरे दुखो को सनम
जिंदगी की यही है निशानी सुनो
आँख भर आई है मेरी तेरे लिए
मेरी आँखों में है खुश्क पानी सुनो
आज मिट्टी हुए सारे अरमाँ मेरे
खुद पे चादर ग़मों की है तानी सुनो
क्या बात है Anu G जन्नत ही लुट ली आपके शब्दों ने
ReplyDeletebahut marmik rachna...dil ka dard ubhar kar aa raha hai.
ReplyDeleteयह पीड़ा अपने आयाम ख़ुद चुनेगी...
ReplyDeleteबेहतरीन,
ReplyDeleteबहती कहानी सुनो।
अनु जी,
ReplyDeleteशानदार ग़ज़ल है .......शेर बढ़िया लगे.....
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteक्या बात है...बहुत सुंदर...शब्द कम पड़ रहे है......बेहतरीन....अनूठा भाव।
ReplyDeleteबहुत खूब..
ReplyDeleteजीत पर अपनी क्यों इतना मगरूर हो
ReplyDeleteहार हमने है खुद अपनी मानी सुनो
क्या बात है,बहुत सुंदर...
अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....
ReplyDeleteसभी रचनाएं बहुत अच्छी लगीं...
ReplyDeleteआपके पास शब्द और भावनाओं का ख़ज़ाना है.
kya baat hai..........bahut sundar ....kamaal ki likhti hai aap....badhai
ReplyDeleteआज मिट्टी हुए सारे अरमाँ मेरे
ReplyDeleteखुद पे चादर ग़मों की है तानी सुनो ...
Bahut gahri baat hai is sher mein ... lajawaab ..