Saturday, April 23, 2011

ज़रा सम्हल जा इसे तैर के जाने वाले




दोस्त बन बन के सताने वाले 
मेरी मैयत पे बिलखते है ज़माने वाले

आज फिर चैन में खलल सा है 
सपने में आने लगे चैन चुराने वाले

आज वो पूछ बैठे हाल मेरा
आज फिर ज़ख्म उभर आये पुराने वाले

तेरी दस्तक का मुझे इंतज़ार आज भी है
बेकली में मुझे ए छोड़ के जाने वाले

वो जो डूबा तो मिले मोती उसे
कौडियाँ बीनते ही रहे किनारे वाले

इश्क में भवर है तूफ़ान भी है
ज़रा सम्हल जा इसे तैर के जाने वाले
------- पद्म प्रकाश- ०८-०४-09 http://padmsingh.blogspot.com/

6 comments:

  1. इन तूफानों से निकलकर कौन जाना चाहता है, यही जिन्दगी है।

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  2. बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पे आने से बहुत रोचक है आपका ब्लॉग बस इसी तह लिखते रहिये येही दुआ है मेरी इश्वर से
    आपके पास तो साया की बहुत कमी होगी पर मैं आप से गुजारिश करता हु की आप मेरे ब्लॉग पे भी पधारे
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/

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  3. आज वो पूछ बैठे हाल मेरा
    आज फिर ज़ख्म उभर आये पुराने वाले ...

    Bahut khoob ... fir bhi man chaahta hai ki vo haal poochen ... lakjawaab gazal ...

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  4. शानदार....खूबसूरत......अशआर.....हर शेर उम्दा.....वाह....

    ये सबसे बढ़िया लगा.....
    वो जो डूबा तो मिले मोती उसे
    कौडियाँ बीनते ही रहे किनारे वाले

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  5. वो जो डूबा तो मिले मोती उसे
    कौडियाँ बीनते ही रहे किनारे वाले

    bilkul sach bayan kiya hai! umda ghazal

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