Tuesday, June 28, 2011

डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.




उनके होठो पे तबसुम कोई प्यारा नही देखा
फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा

बारहा  महके है गुज़रे हुए मौसम का खयाल  
कफस में फिर कभी गुलज़ार नज़ारा नहीं देखा

शब को रोशन करें ये चाँद  सितारे सारे
करे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा

तिश्नगी रूह  की मेरी जो बुझाये कोई
अब तलक अब्र कोई ऐसा आवारा नही देखा

यूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी  तमन्ना भी थी
डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा. 

14 comments:

  1. बयूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
    डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.

    बहुत बढ़िया....

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  2. फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा....
    शानदार प्रस्तुति:
    बहुत ही सुन्दर रचना !
    "हार्दिक शुभकामनाएं"

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  3. शानदार गजल। कभी मेरे ब्लाग पर भी आए। आभार।

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  4. तिश्नगी रूह की मेरी जो बुझाये कोई
    अब तलक अब्र कोई ऐसा आवारा नही देखा

    यूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
    डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.


    बहुत खुबसूरत अशआर !

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  5. बहुत खूब....शानदार ग़ज़ल.....आजकल आपके ब्लॉग पर बड़ी शानदार ग़ज़लें पढ़ने को मिलती हैं|

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  6. यूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
    डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.
    bahut khoob

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  7. उनके होठो पे तबसुम कोई प्यारा नही देखा
    फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा
    बहुत खूब....

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  8. शब रोशन करें ये चाँद सितारे सारे
    करे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा
    बहुत खूबसूरत ।

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  9. बहुत ही बढ़िया।

    सादर

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  10. शब को रोशन करें ये चाँद सितारे सारे
    करे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा

    वाह वाह ।
    बेहद खूबसूरत गज़ल ।

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  11. फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा....
    शानदार प्रस्तुति:
    बहुत ही सुन्दर रचना !
    "हार्दिक शुभकामनाएं"

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