उनके होठो पे तबसुम कोई प्यारा नही देखा
फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा
बारहा महके है गुज़रे हुए मौसम का खयाल
कफस में फिर कभी गुलज़ार नज़ारा नहीं देखा
शब को रोशन करें ये चाँद सितारे सारे
करे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा
तिश्नगी रूह की मेरी जो बुझाये कोई
अब तलक अब्र कोई ऐसा आवारा नही देखा
यूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.
बयूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
ReplyDeleteडूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.
बहुत बढ़िया....
फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा....
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति:
बहुत ही सुन्दर रचना !
"हार्दिक शुभकामनाएं"
शानदार गजल। कभी मेरे ब्लाग पर भी आए। आभार।
ReplyDeleteबेहतरीन, वाह।
ReplyDeleteshaandar gazal.
ReplyDeleteतिश्नगी रूह की मेरी जो बुझाये कोई
ReplyDeleteअब तलक अब्र कोई ऐसा आवारा नही देखा
यूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
डूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.
बहुत खुबसूरत अशआर !
बहुत खूब....शानदार ग़ज़ल.....आजकल आपके ब्लॉग पर बड़ी शानदार ग़ज़लें पढ़ने को मिलती हैं|
ReplyDeleteयूँ तो जज़्बा भी, हौसला भी तमन्ना भी थी
ReplyDeleteडूबती कश्ती ने साहिल का इशारा नहीं देखा.
bahut khoob
उनके होठो पे तबसुम कोई प्यारा नही देखा
ReplyDeleteफिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा
बहुत खूब....
वाह वाह
ReplyDeleteशब रोशन करें ये चाँद सितारे सारे
ReplyDeleteकरे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा
बहुत खूबसूरत ।
बहुत ही बढ़िया।
ReplyDeleteसादर
शब को रोशन करें ये चाँद सितारे सारे
ReplyDeleteकरे जो रूह को रोशन वो सितारा नही देखा
वाह वाह ।
बेहद खूबसूरत गज़ल ।
फिर निगाहों ने कोई ख्वाब दोबारा नही देखा....
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति:
बहुत ही सुन्दर रचना !
"हार्दिक शुभकामनाएं"