Monday, May 2, 2011

तनहाइयों का सिलसिला ये कैसा है


तनहाइयों का सिलसिला ये कैसा है
गर वो मेरा है तो फासला ये कैसा है

तुम  न आओगे कभी ये मै जानती हूँ
फिर तेरी यादो का काफिला ये कैसा है

कभी नाचती थी खुशियाँ मेरे आंगन में
अब उदासियों का मरहला ये कैसा है 

देख लूँ उसको तो दिल को सुकूं आये
मुझे जान से प्यारा दिलजला ये कैसा है

एहसास हो जायेगा मेरे जज़्बात का तुझे
देख मेरी आँखों में ज़लज़ला ये कैसा है

न इश्क ही जीता और न दिल ही हारा
वफ़ा की राह में मेरा हौसला ये कैसा है

हौसला तुझमे भी नहीं है जुदा होने का
दूर हो कर भी भला मामला ये कैसा है

4 comments:

  1. सुभानाल्लाह......बेहतरीन ग़ज़ल........

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  2. बहुत सुन्दर बहुत कसी हुई गज़ल एक लम्बे अरसे के बाद पढ्ने मिली साधुवाद

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  3. तनहाइयों का सिलसिला ये कैसा है
    गर वो मेरा है तो फासला ये कैसा है
    बेहतरीन !

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