वक्त रहता कभी एक सा नहीं है
यहाँ मोहोबत करना आसां नहीं है
उनकी यादो का साया है साथ मेरे
क्या हुआ जो सर पर आसमां नहीं है
पीकर अक्सर बेअसुल हो जातेहो तुम
पर जानती हूँ मै,दिल तेरा शैतां नहीं है
खुदा की बख्स है चल रही है सांसे
वरना जीने का मुझको अरमां नहीं है
मेरी बर्बादियो का तुम गम ना करो
इस दिल में अब कोई तूफान नहीं है
तूफान भी कभी ठण्डा हो जाता है।
ReplyDeleteअनु जी,
ReplyDeleteग़ज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी अहि पर कई जगह मुझे कुछ कमी लगी -
मोहोबत - मुहब्बत
बेअसुल - बेउसूल
बख्स - ????
तूफान - तूफां (ग़ज़ल के अनुसार ऐसा होना चाहिए था )
बहुत ही बेहतरीन नज़्म
ReplyDeleteशुभकामनाएं !
उनकी यादो का साया है साथ मेरे
ReplyDeleteक्या हुआ जो सर पर आसमां नहीं है
क्या बात है अनुजी, बहुत खूब ।
खुदा की बख्स है चल रही है सांसे
ReplyDeleteवरना जीने का मुझको अरमां नहीं है
मेरी बर्बादियो का तुम गम ना करो
इस दिल में अब कोई तूफान नहीं
.... बहुत ही बेहतरीन नज़्म
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/
आकर्षक ब्लॉग - बहुत सुंदर रचनाएँ भी पढने को मिलीं जिनके सन्दर्भ में बेहद प्रभावशाली चित्र हैं - बधाई
ReplyDeleteमेरी बर्बादियो का तुम गम ना करो
ReplyDeleteइस दिल में अब कोई तूफान नहीं ....
बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ .... :)