Monday, May 9, 2011

वक्त रहता कभी एक सा नहीं है




वक्त रहता कभी एक सा नहीं है
यहाँ मोहोबत करना आसां नहीं है

उनकी यादो का साया है साथ मेरे
क्या हुआ जो सर पर आसमां नहीं है

पीकर अक्सर बेअसुल हो जातेहो तुम
पर जानती हूँ मै,दिल तेरा शैतां नहीं है

खुदा की बख्स है चल रही है सांसे
वरना जीने का मुझको अरमां नहीं है

मेरी बर्बादियो का तुम गम ना करो
इस दिल में अब कोई तूफान नहीं है

8 comments:

  1. तूफान भी कभी ठण्डा हो जाता है।

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  2. अनु जी,

    ग़ज़ल बहुत अच्छी बन पड़ी अहि पर कई जगह मुझे कुछ कमी लगी -

    मोहोबत - मुहब्बत

    बेअसुल - बेउसूल

    बख्स - ????

    तूफान - तूफां (ग़ज़ल के अनुसार ऐसा होना चाहिए था )

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  3. बहुत ही बेहतरीन नज़्म
    शुभकामनाएं !

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  4. उनकी यादो का साया है साथ मेरे
    क्या हुआ जो सर पर आसमां नहीं है

    क्या बात है अनुजी, बहुत खूब ।

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  5. खुदा की बख्स है चल रही है सांसे
    वरना जीने का मुझको अरमां नहीं है

    मेरी बर्बादियो का तुम गम ना करो
    इस दिल में अब कोई तूफान नहीं
    .... बहुत ही बेहतरीन नज़्म

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  6. बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
    बहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
    पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
    धन्यवाद्
    दिनेश पारीक
    http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
    http://vangaydinesh.blogspot.com/

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  7. आकर्षक ब्लॉग - बहुत सुंदर रचनाएँ भी पढने को मिलीं जिनके सन्दर्भ में बेहद प्रभावशाली चित्र हैं - बधाई

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  8. मेरी बर्बादियो का तुम गम ना करो
    इस दिल में अब कोई तूफान नहीं ....

    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ .... :)

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