Wednesday, May 15, 2013

रौशनी है चराग जलने तक






फना हो जाएगे सम्हलने तक
कौन जीता है रुत बदलने तक

जश्न कर जिंदगी के हमराही
साथ है रास्ता बदलने तक

पढ़ भी लो उम्र के हसीं सफहे 
रौशनी है चराग जलने तक

अश्क आँखों में रोक कर रखना
लाजमी है ये रात ढलने तक

धुंध से  भरा है सारा आलम
वो भी है सिर्फ आंख मलने तक
                      (16/2/2010-अनु)





6 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन १५ मई, अमर शहीद सुखदेव और मैं - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  2. जश्न कर जिंदगी के हमराही
    साथ है रास्ता बदलने तक

    Very Nice...

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  3. ab kahan milte hain ye chiraag.!

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  4. अश्क आँखों में रोक कर रखना
    लाजमी है ये रात ढलने तक-----

    वाह बहुत सुंदर
    बधाई

    आग्रह हैं पढ़े
    तपती गरमी जेठ मास में---
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  5. roshni ki khoobsurti toh chipi hi reh gayee.....ujalon ke geet sunao ji.muskrao aur muskrahton ki baat karo......aap ka chehra muskrata huaa aur bhee achha lagega...

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  6. har allfaj badal ne par har baat badal jati hai,
    har sham k dal ne par har ek raat badal jati hai

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