Wednesday, March 12, 2014

फागुन

 

जीजीजीजीजीजीजीजीजीजीजीजीurl

 

फूलो के घेरे मे,तितलियों संग फेरे मे

बागन मे गलियन मे, मदमाती कलियन मे

आमो की बौर मे उलझाया सा मन

ऐसे फिज़ाओं मे फागुन रचा है

 

सरसों के रंग मे महुए की गंध मे

अपनो के संग मे बहती उमंग मे

गुनगुनी धुप मे बौराया सा मन

ऐसे हवाओं मे फागुन सजा है

 

गोरी के अंग मे केसरिया रंग मे

ढ़ोल और मृदंग मे गोपियों के संग मे

सूरत सलोनी के सतरंगी सपनों मे

ऐसे निगाहों मे फागुन बसा है

3 comments:

यूँ चुप न रहिये ... कुछ तो कहिये