
बहुत दरिया दिल था वो शख्स
छीन कर आँख वो चराग दिखता ही रहा
दर्दे दिल आँख से बह कर निकले
हाल पे मेरे वो चुपचाप मुस्कुराता ही रहा
दिखाया जब भी उसको जख्मे जिगर
नोक से काँटों की मरहम वो लगता ही रहा
बह गई मै भी तेरी चाहत में 'अनु'
इश्क दरिया है लोगो को डुबाता ही रहा