मिले जब मुझको ऐसे गम अहिस्ता आहिस्ता
हुई तब आँख मेरी पुरनम अहिस्ता आहिस्ता
छोड दिया जब साथ मेरा साये ने
नाजाने होगई कहा मै गुम अहिस्ता आहिस्ता
जुबा से तो कुछ भी निकलता नहीं
फिर भी तन्हाई गाती है हरदम अहिस्ता आहिस्ता
लहू दिल का उतर है मेरी आँख मे
युही बेवजह मुस्कुराये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता
आपकी याद है दिल का चैन जाना
पर आपको भुलाये जाते है हमदम अहिस्ता आहिस्ता
दिल में उठते गुबार से मायूस न हो
सहरा को गुलजार बनाये जाते है हम अहिस्ता आहिस्ता