Monday, February 21, 2011

प्यार की हद से ज्यादा प्यार किया



कभी नजर से गिरा दिया
कभी दिल में बसा दिया
मुहब्बत में तुमने हमे
कभी हंसा तो कभी रुला दिया
कभी प्यार बेसुमार किया
कभी दर्द बेइंतिहा दिया
अपनी दीवानगी में तुमने हमे
किस मक़ाम पर पंहुचा दिया
कभी मुसान में भर मिला दिया
कभी सेहरा में तन्हा कर दिया
दिल को खिलौना समझ कर तुमने
हमे हर खेल में हरा दिया
कभी उम्मीदों को बढा दिया
कभी मायूसियो ने जीना दुश्वार किया
फिर भी हमदम हम ने तुम्हें
प्यार की हद से ज्यादा प्यार किया

Friday, February 11, 2011

पलकों में पालती रही दिन इंतजार के






ऐ मेरे सनम तेरी महोब्बत में हार के 
यूँ ही चले जाएगे शबे गम गुजार के


है मयकदा वीरान और सागर उदास है 
जाने से उनके रूठ गए दिन बहार के


हम टूट भले जाएँगे शिकवा न करेंगे 
हमपे करम बहुत हैं उस सितमगार के


ख्वाबो के ही आलम में आजाये वो कभी 
पलकों में पालती रही दिन इंतजार के


फिर तोड़ के दीवार अना की पुकार लो 
फिर देख लूँ मै हौसले अपने भी यार के

Monday, February 7, 2011

कतरा कतरा इल्तिजा करे तो क्या मिले








कतरा कतरा इल्तिजा करे तो क्या मिले
न अश्के दरिया मिले और न उरूजे वफ़ा मिले

है जिंदगी कि दौड में शामिल हर एक शख्स
हर कोई चाहता है उसे रास्ता मिले

हमको न पढा कीजिये औरों की नजर से
चेहरा न पढ़ सके तो किताबो में क्या मिले

हर बार रिश्तों को समझने कि आरजू में
जो भी मिले सनम वो हमे बेवफा मिले

लगता है नए दौर ए रिवाजों में ये लाजिम
जिसकी खता नहीं हो उसीको सजा मिले

Monday, January 31, 2011





कितने मुश्किल और तकलीफदेह होते है कुछ सफर जो कटते ही नही ,जेसे ,ख्वाब से हकीकत तक का सफ़र तमन्ना से दिल तक का सफ़र ,इस सफ़र में बदन चूर -चूर होजाता है मगर ख्वाहिशें दम नही तोडती ,दिल आखरी लम्हे तक बहुत खुशगुमान रहता है मोहब्बत करना मुश्किल और निभाना और भी ज्यादा मुश्किल मोहब्बत पाने की लगन लहू भरे समंदर में नहाने के बराबर है


ऐ खुदा ,तुने मोहब्बत ये बनाई क्यों है
गर बनाई तो मोहब्बत में जुदाई क्यों है


क्यों दिया प्यार मुझे इसकी जरूरत क्या थी
मेरी बरबादियों में तेरी हिमाकत क्या थी


मरी रहोमें तो खुशबू का सफ़र रहता था
दिल में आबाद गुलाबों का नगर रहता था


जिन्दगी काँटों भरे रस्ते पर लाई क्यों है
ऐ खुदा ,तुमे मोहब्बत बनाई क्यों है

Sunday, January 30, 2011

शेर




ऐ जिंदगी यूँ मुझसे दगा ना कर 
मै उससे दूर रहूँ ये दुआ ना कर 
कोई देखता है उसे तो होती है जलन 
ऐ हवा तू भी उसे छुआ ना कर

                                                   (अनजान शायर)



Sunday, January 16, 2011







वो इश्क जो हमसे रूठ गया 
अब उसका हाल बताए क्या 
कोई महर नही कोई कहर नही 
फिर सच्चा शेर सुनाये क्या 
जब जिस्म ही सारा जलता हो 
फिर दामने दिल को बचाए क्या 

Saturday, January 8, 2011

कटता नहीं अब अनजान रास्तो का सफर




कौन है जो देगया मुश्किलों की राहगुजर
कटता नहीं अब अनजान रास्तो का सफर

धड़कता है दिल किस अनजान हादसे से
डाला है किसने मन में एक अजीब सा डर

सूरज के मुह पर उतरा है कैसा लाल लहू
कटा है फिर वफा की राह में किसी का सर

है कौन वो जिसने बेकरारीयां मुझे अता की
है किसकी मेहरबानियो से उदास शामो सहर

उसके प्यार में मासूम दिल सह रहा जो दर्द
सोचती हूँ कौन है जो दे गया मुझको ये हुनर